27 अगस्त 2024 ( सीमान्त की आवाज़ )
उत्तराखंड के ओम पर्वत से ओम गायब, बर्फीले पहाड़ से बर्फ गायब, बर्फीला पहाड़ पड़ा काला,
पर्यावरणविद् ने दी चेतावनी –
यदि पहाड़ों से मनुष्यों की आवाजाही नहीं रोकी गई
तो हमेशा के लिए गायब हो जाएंगे ग्लेशियर और ओम पर्वत का ओम
सुरेन्द्र कुमार गुप्ता
उत्तराखंड
उत्तराखंड के कुमाऊंमंडल के पिथौरागढ़ क्षेत्र से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते पर ओम पर्वत पड़ता है, उस ओम पर्वत से इन दिनों ओम गायब हो गया है और यह पर्वत बर्फ विहीन हो गया है और काला पड़ गया है। इससे देश भर के पर्यावरण विद् और पर्यावरण वैज्ञानिक चिंतित है।
बर्फ पिघलने से विश्व प्रसिद्ध ओम पर्वत से ॐ गायब हो गया है। अब यहां महज काला पहाड़ नजर आ रहा है। पर्यावरणविद और स्थानीय लोग वैश्विक तापमान में वृद्धि और उच्च हिमालयी क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों को इसके लिए दोषी मान रहे हैं। पिछले दिनों पिथौरागढ़ प्रवास पर अपने मूल गांव गुंजी गईं उर्मिला सनवाल गुंज्याल ने खुलासा किया कि वह इस महीने की 16 अगस्त को ओम पर्वत के दर्शन के लिए गईं थीं। जब वह फोटो खींचने के लिए नाभीढांग गईं तो उन्हें ओम पर्वत पर बर्फ नजर नहीं आई। और ओम गायब था जिससे वह बहुत निराशा हुई। उसके इस खुलासे ने पर्यावरण वैज्ञानिकों पर्यावरणविदों और प्रकृति से प्रेम करने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
कुमाऊंमंडल के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील की व्यास घाटी में स्थित ओम पर्वत 5,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित नाभीढांग से ओम पर्वत के दर्शन होते हैं।
भारतीय पर्यावरण संस्थान उत्तराखंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पर्यावरण एवं जंतु विज्ञान विभाग गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बीडी जोशी का कहना है कि यदि इसी तरह से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मनुष्यों की आवाजाही बढ़ती गई और पहाड़ों में विकास के नाम पर, तीर्थाटन के नाम पर और पर्यटन के नाम पर लोगों की भीड़ बढ़ती गई और सड़कों का जाल पहाड़ों में अंधाधुंध तरीके से बिछाया जाता रहा, निर्माण कार्य बढ़ते रहे,सुरंगे बनती रही और पहाड़ों को तोड़ने के लिए विस्फोट होते रहे तो एक दिन हमेशा के लिए उत्तराखंड के पहाड़ ग्लेशियर विहीन हो जाएंगे और ओम पर्वत हमेशा के लिए गायब हो जाएगा।
प्रोफेसर बी डी जोशी कहते हैं कि उत्तराखंड में मनुष्यों की आवाजाही जिस तरह से बढ़ रही है उससे मोटर गाड़ियां भी पहाड़ में तेजी से आ रही है और ध्वनि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है और ध्वनि प्रदूषण भी पहाड़ों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है, प्रोफेसर जोशी कहते हैं कि ध्वनि प्रदूषण केवल बर्फ को ही नहीं पिघलाता बल्कि इससे पहाड़ों में रहने वाले वन्य जीव तथा वनस्पतियां भी प्रभावित हो रही हैं और वन्यजीवों की प्रजनन की प्रक्रिया बाधित हो रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के चारों धामों के लिए खास तौर से बद्रीनाथ और केदारनाथ के लिए जो हेलीकॉप्टर सेवा युद्ध स्तर पर शुरू की गई है, उससे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है क्योंकि इन हेलीकॉप्टर सेवाओं से वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, जीव जंतुओं का रहना इस क्षेत्र में मुश्किल हो गया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियों को तुरंत रोका जाना चाहिए और अंधाधुंध तरीके से सड़कों, सुरंगों और मकानों के निर्माण पर रोक लगाई जानी चाहिए।जिस तरह से उत्तराखंड में होटलों और अतिथि गृहों का जाल बिछाया जा रहा है, वह फिलहाल तो पर्यटन के नाम पर धन शोधन के लिए अच्छा दिखाई दे रहा है,परंतु भविष्य में यह उत्तराखंड के लिए अभिशाप साबित होगा,क्योंकि जब यहां पर ग्लेशियर ही नहीं रहेंगे,बर्फ ही नहीं पड़ेगी तो फिर पर्यटक क्या देखने आएंगे। प्रोफेसर जोशी ने उत्तराखंड में पर्यटन के नाम पर तीर्थाटन के नाम पर अंधाधुंध निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की मांग की है और मनुष्यों की आवाजाही को कम करने की बात कही।
प्रोफेसर जोशी कहते हैं कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओम पर्वत के दर्शन के लिए गए और जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रचार किया गया, उससे कुमाऊं के पिथौरागढ़ क्षेत्र में एकाएक पर्यटकों की आवाजाही तेजी से बढ़ी है और जिसके कारण इस क्षेत्र में तापमान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि तेजी के साथ जलवायु परिवर्तन हो रहा है। और गर्मी बढ़ रही है । ऋतुओं के चक्र में परिवर्तन हो रहा है। ओम पर्वत से बर्फ का गायब होना यह भी एक प्रमुख कारण है। पिछले सीजन में गर्मियों में गर्मी अत्यधिक पड़ी और बरसात तथा सर्दियां कम हुई। और देखने में आया है कि बारिश कम पड़ रही है और सर्दियों का अवधि काल पहले के मुकाबले लगातार घट रहा है। जिस कारण बर्फबारी काम हो रही है और बर्फ जो पड़ रही है वह जल्दी पिघल रही है और कम समय तक टिक पा रही है।