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बिग न्यूज़ :-युवा नवाचारी शिक्षक नवीन पोखरिया की प्रथम पुस्तक “ठगदा वापस आ गया है भल” के विमोचन समारोह का भव्य आयोजन किया गया।

13 नवंबर 2024 ( सीमान्त की आवाज़ ) जनपद उधम सिंह नगर के सीमान्त खटीमा के राणा प्रताप इंटर कॉलेज के सोबरन सिंह राणा सभागार में युवा नवाचारी शिक्षक नवीन पोखरिया की प्रथम पुस्तक “ठगदा वापस आ गया है भल” के विमोचन समारोह का भव्य आयोजन किया गया।
नए उभरते लेखक नवीन पोखरिया का नाम एक शानदार नवाचारी शिक्षक के रूप में शुमार हैं जो शिक्षक के रूप में विभिन्न पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।
विमोचन समारोह में शिक्षा विभाग से कई विद्वान शिक्षक व खटीमा के विद्वान साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उनके माताजी व पिताजी उपस्थित रहे।

समारोह का प्रारंभ सरस्वती माता के दीप प्रज्वलन व संबोधक रमेश तिवारी जी द्वारा मंत्रोच्चार से किया गया।

खटीमा निवासी लेखक नवीन पोखरिया खटीमा वर्तमान में राजकीय प्राथमिक विद्यालय पंथागोठ में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। इनका जन्म पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना के ख्वांकोट के महत गांव में हुआ।
इनके पिता नारायण सिंह पोखरिया शिक्षक व माता गोदावरी पोखरिया गृहणी हैं।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा मैती आंदोलन की भूमि ग्वालदम में हुई और कॉलेज की शिक्षा पिथौरागढ़ से हुई।

संबोधक रमेश तिवारी ने बताया कि लेखक के इस संग्रह की सभी कहानियां पहाड़ की विषम परिस्थितियों और पलायन से सूखते गांवों की सच्ची और जीवंत कहानियां हैं जिन्हें पढ़कर गांव को फिर से स्मृतियों में और बार बार पढ़कर जिया जा सकेगा।

इस अवसर पर किताब के प्रथम पाठक रहे ललित पांडेय ने पुस्तक की विभिन्न कहानियां पर गूढ़ चर्चा व समालोचना की।ललित ने कहा कि इस संग्रह की सभी कहानियां उच्चस्तरीय हैं जो सभी वर्ग के पाठकों को पसंद आएगी।लेकिन फिर भी इनमें मजबूत,अदम्य साहस से भरे और अपने प्रयासों से गांव की परिस्थितियों को बदलते शेरका की कहानी “झूपर्याला बांज और सत्ताधारी चीड़” और पहाड़ जैसी जीवटता से भरे पिता और उसके अपने पुत्र के संबंधों पर आधारित कहानी “ये नौ मणि कौन ठैरा रे” को अपनी प्रिय कहानी बताया।

 

मॉडर्न यूटोपियन सोसाइटी के महासचिव श्री पूरन बिष्ट जी ने उनकी प्रत्येक कहानी को वर्तमान के श्रेष्ठ लेखकों के समकक्ष माना और कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि भविष्य में नवीन पोखरिया का नाम एक प्रसिद्ध लेखक के रूप में स्थापित होगा।

लेखक नवीन पोखरिया के मित्र दीपक कुमार ने बताया कि कैसे और कब लेखक ने इन कहानियों की रचना प्रारंभ किया।दीपक ने बताया कि उन्हें संग्रह की सभी कहानी पसंद हैं लेकिन उनकी पसंदीदा “जिगरी दगड़ू” और “एक अकेली रात” है।”जिगरी दगड़ू” कहानी में पहाड़ों पर जातिवाद पर कटाक्ष किया गया है।और कहानी “एक अकेली रात” में पहाड़ से जुड़ी लड़की और उसकी दुखद व रहस्य से भरी दास्तान है।

लक्ष्मण सामंत ने अपने उद्बोधन में बताया कि लेखक की कहानियां ने पहाड़ में रहने वाले और मजबूरी वश पहाड़ से दूर हुए लोगों को अपने पहाड़ याद करने का एक मौका दिया है।

कैलाश चंद्र सिंह ने इस उत्कृष्ट कहानी संग्रह से “गणेश के बाज्यू की घरवाली का असिक्का” और “पैरों में पंख वाली लड़की” को अपनी प्रिय कहानी बताया।

लेखक के बड़े भाई गोविंद पोखरिया “गोपी” ने अपने उद्बोधन में कहा कि उन्हें इस प्रयास के लिए अपने छोटे भाई पर गर्व है और उन्होंने उम्मीद जताई कि यह पुस्तक नए कीर्तिमान स्थापित करेगी और नवीन पोखरिया के लिए नई किताबों के सृजन के वाहक का कार्य करेगी।

जितेंद्र यादव ने इस संग्रह को पहाड़ का पर्याय बताया और “दो बूढ़े दरख़्तों की टूटती शाखें”, “हैप्पी बड्डे का गिफ्ट” और “पूर्णा,पूर्णिमा और प्रश्नवाचक चिन्ह” को अपनी खास कहानी बताया।

अरविंद गोस्वामी, कैलाश गुसाईं, मदन अधिकारी,नीरज सक्सेना,कमान सामंत,सुरेश शर्मा,राजेश जोशी ने अपने उद्बोधन में नवीन की नवाचारी शिक्षक के रूप में शानदार क्रियाशीलता और एक लेखक के रूप में उनके विकास को एक उत्कृष्ट उदाहरण करार दिया।

चंपावत पुस्तकालय समिति के जिला समन्वयक अनिल चौधरी जी ने पुस्तकों के के महत्व और शिक्षक के लेखक बनने पर उनकी प्रशंसा की और भरोसा व विश्वास जताया कि “ठगदा वापस आ गया है भल” पुस्तक को विभिन्न पुस्तकालयों पर पर रखा जाएगा।

इस अवसर पर कुमाऊनी संगीत में अपनी विशेष पहचान बना चुके प्रवीन खोलिया भी उपस्थित रहे जिन्होंने अपने “नथुली को घेरो” और “याई छै तू” को अपनी मधुर आवाज में प्रस्तुत किया। जिनके गीत के बोल लेखक नवीन पोखरिया द्वारा ही लिखे गए हैं।समारोह में मौजूद सभी लोगों ने उनके गीतों को खूब सराहा।

समारोह का अंतिम संबोधन लेखक नवीन पोखरिया द्वारा किया गया।लेखक द्वारा बताया गया कि उन्हें उनकी सभी कहानियां एक बच्चे की तरह बराबर पसंद हैं।उनके द्वारा लिखी पहली कहानी “एक साथी और भी था” थी जिन्हें उन्होंने पुलवामा हादसे से क्षुब्ध होकर लिखा। संग्रह की शीर्षक कहानी “ठगदा वापस आ गया है भल” उनके गांव के मेहनतकश पहाड़ी के जीवन पर आधारित है।जो सच्चे अर्थों में पहाड़ के हर आदमी के पहाड़ जैसे दुरूह जीवन की तरह है। समारोह में विभिन्न स्थानों से आए साहित्य प्रेमियों के स्नेह से वह अभिभूत दिखे और उन्होंने उनका आभार जताया और उन्हें विश्वास जताया कि उनपर और उनकी किताब को मिल रहे प्रेम से मिली जिम्मेदारी को वह भविष्य में भी बखूबी निभाएंगे।पहाड़ और समाज के विभिन्न जरूरी मुद्दों को अपनी का विषय बनाने का पूरा प्रयास करेंगे और समाज में जागरूकता लाने का प्रयास करेंगे।

पुस्तक के विमोचन समारोह की सफलता और लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि समारोह के स्टॉल में “ठगदा वापस आ गया है भल” की 100 पुस्तकें रखी गई थीं जो हाथों हाथ सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों द्वारा खरीद ली गई और लगभग 100 पुस्तकों के आर्डर भी प्राप्त हुए।

समारोह का अंत संबोधक रमेश तिवारी द्वारा गिरीश तिवारी “गिर्दा” के कालजई गीत “उत्तराखंड मेरी मातृभूमि” से किया गया।

इस अवसर पर तेज सिंह पुजारा,संजय कार्की,भीम सिंह भंडारी,दरबान मेहरा,अर्जुन खोलिया,छविराज कफलिया, ताजवर खत्री,हरीश कुमार, मीना नयाल,देवकी बिष्ट,हंसी कन्याल,रीता पाल,गीता उपाध्याय,प्रदीप कन्याल,आलोक,दिव्य प्रकाश जोशी और विभिन्न स्थानों से आए गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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