23 दिसम्बर ( सीमान्त की आवाज़ ) खटीमा में ओवरलोड वाहन बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए न तो आरटीए विभाग के पास कोई प्लान है और न ही पुलिस विभाग के पास कोई योजना। इसलिए ओवरलोड वाहनों में खुलेआम धान, लोहे की सरिये, रोड़ी, बजरपुर, सरिया व सीमेंट आदि भरे जा रहे हैं। ओवर लोड वाहन पकड़े जाने पर थोड़ बहुत जुर्माना भरकर निकलने में कामयाब हो जाते हैं। अब सर्दी का मौसम है। इसलिए सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्रालियों में गन्ना भी ओवरलोड मिलना आम हो गया है। ओवरलोड वाहन सड़कें ही नहीं तोड़ रहे, बल्कि हादसों का भी सबब बन रहे हैं, जिससे लोगों की जान जा रही है। आरटीए विभाग की टीम ने पिछले एक साल कुछ वाहनों के चालान किए, लेकिन इसके बावजूद भी ओवरलोड वाहनों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। पैसे के लालच में चालक ट्रकों, ट्रालों व ट्रैक्टर-ट्रालियों को इतना ओवरलोड करके चला जाता है कि दूसरे वाहन के निकलने की भी जगह नहीं बचती। कई बार इन ट्रालों के सड़क पर ही पलट जाने से पूरा-पूरा दिन रास्ते ही बंद हो जाते हैं। यह ट्राले इतने ऊंचे लदे होते हैं कि यह सड़क से गुजरते समय बिजली की तारों, केबल आदि को भी तोड़ रहे हैं।
बिना रिफ्लेक्टर के ओवरलोड वाहन मुसाफिरों के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। पुलिस प्रशासन ऐसे वाहनों पर नकेल कसने की बजाय मात्र दोपहिया वाहन चालकों के चालान कर खानापूर्ति करता है। सर्दी का मौसम शुरू होते ही धुंध भी जलवा दिखाना शुरू कर दिया है। धुंध के कारण ऐसे वाहन सड़कों पर यमदूत बन जाते हैं जिनके आगे-पीछे कोई रिफ्लेक्टर या स्टिकर नहीं लगा होता। ओवरलोडिड व बिना रिफ्लेक्टर व स्टिकर के ट्रैक्टर-ट्राली व थ्री-व्हीलर चल रहे हैं। इनके पीछे न तो स्टिकर लगे होते हैं और न रिफ्लेक्टर। सर्दी के मौसम में धुंध के कारण यह सड़कों पर दिखाई तक नहीं देते जिससे अक्सर दुर्घटनाएं घटती रहती हैं।
शहर में हो चुके हैं कई हादसे
ओवर लोड वाहनों के चलते पिछले एक साल में कई हादसा हो चुके हैं और कई जान जा चुकी हैं। पिछले दिनों हाइवे पर कईओ की मौत हो गई थी। इसी प्रकार टनकपुर रोड, सितारगंज रोड के पास ओवरलोड वाहनों को क्रास करते समय बाइक सवार युवक की मौत हो गई थी।
ओवर लोड वाहनों को बचाने के लिए चलता है पूरा गिरोह
शहर व बाहर से आने वाले ओवर लोडिड वाहनों को आरटीए की टीम से बचाने के लिए पूरा तंत्र चलता है।
ऐसे ही ओवर लोड चलने वाले ट्रकों आरटीए व पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाते।
दिन में पाबंदी के बाद भी चल रहे वाहन
प्रशासन ने सुबह आठ बजे से रात दस बजे तक शहर में बड़े व ओवरलोड वाहनों के चलने पर पाबंदी लगाई हुई है। उसके बाद भी इस दौरान शहर में बड़े वाहनों की एंट्री जारी रहती है। इससे जाम तो लगता ही है, साथ में कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। ओवरलोड वाहनों के कारण पिछले कुछ सालों में दर्जनों लोगो की सड़क दुर्घटनाओं में मौते हो चुकी है।
ऐसे में प्रशासन कुंभकरण की नींद कब जागेगा और कब शहर में नो एंट्री के बावजूद भी ओवरलोड वाहनों पर अंकुश लग सकेगा