8 अगस्त 2024 ( सीमान्त की आवाज़ )
भारत नेपाल सीमा पर स्थित मेलाघाट में सीमा पर बहने वाली जगबूड़ा नदी का रुख भारी बारिश के चलते भारत में आबादी की तरफ होने से ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है, आठ और नौ जुलाई 2024 को आई भीषण बाढ़ के चलते जगबूड़ा नदी उफान पर थी, जिसकी वजह से सीमा पर स्थित पिलर संख्या 797/1 के पास भारतीय सीमा में भारी भू-कटाव हुआ था।
दर्जनों किसानों के खेत भू-कटाव की जद में आ गए थे। वहीं प्रशासन के संज्ञान में आने पर सिंचाई विभाग द्वारा भू-कटाव वाली जगह पर कट्टों में मिट्टी भरकर मरम्मत का कार्य किया जा रहा है लेकिन बीती रात आई भारी बारिश के चलते जगबूड़ा नदी ने भयावह रूप ले लिया और पुनः भारत की सीमा में कटाव शुरू कर दिया जिससे कई किसानों की खेती योग्य भूमि जगबूड़ा नदी में समा गई जिससे सीमा पर बसे ग्रामीणों व किसानों की चिंता बढ़ गई है। अगर लगातार भारी बारिश होती रही तो जगबूड़ा नदी सीमा पर बसे गांव मेलाघाट व मेला घाट
बाजार की तरफ आ सकती है जिससे भारी जान माल का खतरा हो सकता है। वहीं पूर्व ग्राम प्रधान राम सजीवन ने बताया कि पूर्व में भारी बारिश के चलते जगबूड़ा नदी का प्रचंड रूप था जिसके कटाव से कई किसानों की खेती योग्य भूमि जमीन नदी में समा गई और नदी का रूप आबादी की तरफ हो गया है। उन्होंने कहा कि पिछली बार हुए भू-कटाव की मरम्मत हेतु सिंचाई विभाग द्वारा कट्टों में मिट्टी डालकर मरम्मत कार्य किया जा रहा है लेकिन बीती रात आई भारी बारिश के चलते नदी पुनः उफान पर आ गई और मरम्मत कार्य में लगे हुए कट्टों को बहा
ले गई तथा कई किसानों को खेतों में भी भारी भू-कटाव हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर भारी बारिश का सिल. सिला लगातार जारी रहा तो नदी का रुख आबादी की तरफ हो जाएगी जिससे भारी जान माल का खतरा हो सकता है और मेलाघाट गांव तथा मेलाघाट बाजार का अस्तित्व खत्म हो सकता है। उन्होंने प्रशासन से नदी पर तटबंध की जगह पक्का बांध बनाने तथा नदी के अंदर जमा सिल्ट को साफ करवाने की मांग की है ताकि नदी का रुख भारत की तरफ ना हो और सीमा पर बसे हुए ग्रामीण तथा किसान सुरक्षित रह सके। वहीं ग्रामीणों द्वारा दी गई सूचना पर तहसीलदार हिमांशु जोशी ने बुधवार को राजस्व विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया, वहीं उपजिलाधिकारी रविंद्र बिष्ट ने बताया कि इस विषय पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों से वार्ता की गई है जल्द ही उचित समाधान किया जाएगा, वही संबंधित विभाग को पिचिंग के लिए निर्देशित किया जा रहा है ताकि नदी का रूख ना बदले और भू-कटाव की स्थिति उत्पन्न ना हो।