17 मई 2025 (सीमांत की आवाज )
**खटीमा में अवैध मिट्टी खनन: माफियाओं का बोलबाला, प्रशासन की चुप्पी, जनता परेशान**
खटीमा, उत्तराखंड का एक प्रमुख कस्बा, इन दिनों अवैध मिट्टी खनन के मकड़जाल में बुरी तरह जकड़ा हुआ है। क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में खनन माफिया बिना किसी रोक-टोक के मानकों को ताक पर रखकर मिट्टी का अवैध खनन कर रहे हैं। बगैर नंबर प्लेट की सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां और दर्जनों डंपर दिन-रात मिट्टी ढोने में लगे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि गांवों की आंतरिक सड़कें भी पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं। स्थानीय जनता इस अराजकता से त्रस्त है, लेकिन प्रशासन की रहस्यमयी चुप्पी ने माफियाओं के हौसले और बुलंद कर दिए हैं।
**अवैध खनन का खुला खेल**
खटीमा के ग्रामीण क्षेत्रों, विशेष रूप से हल्दी, बरी अंजनिया, टेढ़ाघाट और आसपास के इलाकों में अवैध मिट्टी खनन जोरों पर है। जेसीबी मशीनों के जरिए गहरी खुदाई कर मिट्टी निकाली जा रही है, जो सरकारी मानकों का खुला उल्लंघन है। नियमों के अनुसार, मिट्टी खनन के लिए दो फीट तक की खुदाई की अनुमति है, लेकिन माफिया बिना परमिट के 6-8 फीट तक गहरे गड्ढे खोद रहे हैं। यह न केवल उपजाऊ जमीन को बंजर बना रहा है, बल्कि आसपास के खेतों को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
बगैर नंबर प्लेट की ट्रैक्टर-ट्रॉलियां और डंपर बेखौफ सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। ये वाहन न तो बीमा के दायरे में हैं और न ही इनके चालकों के पास वैध लाइसेंस हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये वाहन ओवरस्पीड में चलते हैं, जिससे सड़कों पर हादसों का खतरा बढ़ गया है। हाल ही में बरेली में एक ऐसी ही तेज रफ्तार ट्रैक्टर-ट्रॉली ने बाइक सवार दो युवकों को टक्कर मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। खटीमा में भी ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं।
### **सड़कों की बदहाली, जनता की परेशानी**
अवैध खनन के वाहनों के कारण गांवों की आंतरिक सड़कें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। भारी-भरकम ट्रैक्टर-ट्रॉलियां और डंपर सड़कों पर गहरे गड्ढे और कीचड़ छोड़ रहे हैं, जिससे ग्रामीणों का आवागमन दूभर हो गया है। बरसात के मौसम में ये सड़कें दलदल में तब्दील हो जाती हैं, जिससे पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है।
स्थानीय निवासियों ने बताया, “मिट्टी से लदी ट्रॉलियों की तेज रफ्तार के कारण सड़क पर हादसे आम हो गए हैं। बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित नहीं हैं। हमने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।” ग्रामीणों का कहना है कि सड़कों की मरम्मत के लिए कई बार प्रदर्शन किए गए, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
अवैध मिट्टी खनन का सबसे बड़ा दुष्परिणाम पर्यावरण पर पड़ रहा है। गहरी खुदाई से उपजाऊ मिट्टी खत्म हो रही है, जिससे खेती प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, खनन से निकलने वाली धूल हवा को प्रदूषित कर रही है, जिससे सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं। नदियों और तालाबों के किनारे अवैध खनन के कारण जल स्तर भी प्रभावित हो रहा है, जिससे गौवंश और जलीय जीवों को नुकसान पहुंच रहा है।
**प्रशासन की चुप्पी, माफियाओं के हौसले बुलंद**
खनन माफियाओं की बेखौफ गतिविधियों के पीछे प्रशासन की निष्क्रियता सबसे बड़ा कारण है। खनन विभाग, ट्रैफिक पुलिस, ARTO और जिला प्रशासन, सभी इस अवैध कारोबार को रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। कुछ मौकों पर पुलिस ने कार्रवाई की, जैसे कि 2024 में हल्दी गांव में जेसीबी और ट्रैक्टर-ट्रॉली को सीज करना, लेकिन ये कार्रवाइयां नाकाफी साबित हुईं। माफिया प्रशासन की कार्रवाई से पहले ही अपने नेटवर्क के जरिए फरार हो जाते हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “खनन माफिया खुले आम सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दौड़ाते हैं, लेकिन पुलिस और खनन विभाग को कुछ दिखाई नहीं देता। यह सब ऊपरी संरक्षण के बिना संभव नहीं है।
**क्या है समाधान?**
अवैध मिट्टी खनन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। कुछ संभावित उपाय निम्नलिखित हैं:
1. **सख्त निगरानी और कार्रवाई**: खनन विभाग और पुलिस को नियमित छापेमारी कर अवैध खनन पर रोक लगानी चाहिए। बिना परमिट के खनन करने वालों पर भारी जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान हो।
2. **सड़कों की मरम्मत**: क्षतिग्रस्त सड़कों की तत्काल मरम्मत और भारी वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जाए।
3. **जागरूकता अभियान**: ग्रामीणों को अवैध खनन की शिकायत के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन पोर्टल जैसे ‘माइन मित्रा’ को और प्रभावी बनाया जाए।
4. **पर्यावरण संरक्षण**: खनन क्षेत्रों में पुनर्वनीकरण और जल संरक्षण की योजनाएं लागू की जाएं।
**निष्कर्ष**
खटीमा में अवैध मिट्टी खनन एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल पर्यावरण और सड़कों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन को भी खतरे में डाल रही है। प्रशासन की चुप्पी और माफियाओं की मनमानी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है। जनता की आवाज को सुनकर और प्रभावी कार्रवाई करके ही इस मकड़जाल को तोड़ा जा सकता है।